برگ سبز ۲۷۰
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گوینده (روشنک) : |
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به من آن بیوفا یارب كه بادا خاطرِ شادش |
نمی دانم تغافل می كند یا رفتم از یادش |
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خدا داند كه مرغِ بی پرِ دل را چه پیش آمد |
كه صیادش گرفت و نیم بسمل كرد آزادش |
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گوینده (روشنک) : |
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نشد چون دل خموش از ناله در بزم تو دانستم |
كه بلبل در چمن از بیم هجرانست فریادش |
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نمردم گر زهجر امشب مرنج از من كخ جان دادن |
بود دشوار صیدی را كه بر سر نیست صیادش |
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شكستی چون دل ما را به تعمیرش چه می كوشی |
كه چون این خانه ویران گشت نتوان كرد آبادش |
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طبیب اصفهانی (غزل) |
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شد تیره در هوای تو شمع وجود ما |
اشكی به دیده ی تو نیاورد دود ما |
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رفتی زدست ما و نمردیم ای دریغ |
تا چیست بی وجود تو سود وجود ما |
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پژمان بختیاری (غزل) |
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آواز (حسین قوامی) : |
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گر بر آتش می پسندد رای دوست |
می روم زان سُلكِ خاطر خواه اوست |
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عاشقان از نیك و از بد فراغند |
هر چه از نزدیك یار آید نكوست |
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شكر ها دارم من از این آب چشم |
آب چشم عشقبازان آبروست |
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هر كه بینی جستجویی می كند |
وآنكه من خواهم برون از جستجوست |
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هر كسی را آرزویی در دل است |
وآنكه من خواهم برون از آرزوست |
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گر شكافی جمله سر تا پای اوست |
دوستی نی دوست بینی ، دوست ، دوست |
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توحید شیرازی (غزل) |
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